राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर में अनुसंधान की गुणवत्ता पर एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन

उदयपुर, 20.09.2024— राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर की रिसर्च एण्ड डवलपमेन्ट सेल ने संकाय सदस्यों के लिए एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह कार्यक्रम शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न शोध प्रोजेक्ट प्रस्ताव तैयार करने और उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्रों के प्रकाशन से संबंधित जानकारी प्रदान की गई।

कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की रिसर्च एण्ड डवलपमेन्ट सेल द्वारा संचालित रिसर्च मेंटरिंग पहल के अन्तर्गत किया गया। यह पहल महाविद्यालय के संकाय सदस्यों एवं शोधार्थियों को शोध प्रबंधन, शोध प्रस्ताव तैयार करने और उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्रों के प्रकाशन में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है है। रिसर्च मेंटरिंग पहल के अंतर्गत महाविद्यालय भविष्य में अधिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है, ताकि शोध संस्कृति को और प्रोत्साहन मिल सके। इसमें विषय-विशेषज्ञों द्वारा सत्र, अनुसंधान संगोष्ठियाँ, और नेटवर्किंग इवेंट शामिल होंगे।

कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दीपक महेश्वरी द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में शोध के महत्व और उच्च शिक्षा में इसके योगदान पर जोर दिया। प्राचार्य ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम संकाय सदस्यों को न केवल अनुसंधान की प्रक्रिया को समझने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें अपने विचारों को साझा करने और सहयोग बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता सहायक आचार्य अशोक सोनी थे, जिन्होंने 22 नॉमिनेटेड फैकल्टी के साथ DST, ICSSR, DBT, CSIR आदि में प्रोजेक्ट प्रस्ताव तैयार करने के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि सफल प्रोजेक्ट प्रस्ताव कैसे तैयार किए जाएं, इसके लिए आवश्यक तत्व, जैसे कि विषय चयन, अनुसंधान उद्देश्यों की स्पष्टता, और फंडिंग एजेंसियों के मानदंडों को समझना, बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्रस्ताव में प्रस्तुत किए जाने वाले डेटा और विधियों की सही प्रस्तुति पर भी चर्चा की।

दूसरे सत्र में आचार्य सुनील दत्त शुक्ला ने UGC CARE, SCOPUS, WoS आदि में शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे शोधकर्ताओं को नवीनतम रुझानों के अनुसार अपनी लेखन शैली को विकसित करना चाहिए। उन्होंने प्रकाशन के लिए आवश्यक मानदंडों, जैसे कि पियर रिव्यू प्रक्रिया, शोध पत्र की संरचना, और निष्कर्षों की प्रस्तुति पर गहराई से चर्चा की। इस सत्र में प्रतिभागियों ने अपने प्रश्न भी रखे, जिनका मुख्य वक्ता ने स्पष्टता से उत्तर दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत में रिसर्च एण्ड डवलपमेन्ट सेल की प्रभारी प्रो. कानन सक्सेना ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने बताया कि कैसे यह कार्यक्रम कनिष्ठ संकाय सदस्यों के लिए एक अनूठा अवसर है, जिससे वे अपने रिसर्च आईडिया को प्रोजेक्ट रूप में प्रस्तुत कर सकें। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे शोध प्रस्ताव तैयार करने में संकोच न करें, क्योंकि यह उनके अकादमिक और प्रोफेशनल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

कार्यक्रम के दौरान आचार्य संध्या पठानिया ने प्रतिभागियों और अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने महाविद्यालय की शोध गतिविधियों में सभी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की।

कार्यक्रम के समापन पर समिति की सदस्य डॉ. वर्तिका जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने सभी उपस्थित सदस्यों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक आचार्य डॉ अंजू बेनीवाल ने किया।

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