दिनांक 18 अक्टुबर 2018 को राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय की रिसर्च एवं डवलवमेन्ट सेल, द्वारा प्रासंगिक अनुसंधान समस्या के चुनाव विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. लक्ष्मी लाल शर्मा, पूर्व डीन, कॉलेज ऑफ फिश्रीज, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर ने व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि  प्रासंगिक अनुसंधान समस्या का चयन प्रश्नवाचक समस्या से होता है। जिसमें चरों के बीच विशेष प्रकार का सबंध होने की कल्पना की जाती है। शोधकर्ता द्वारा चयनित और निर्मित शोध समस्या पर ही उसके शोध की सफलता निर्भर करती है। शोध समस्या सैद्वान्तिक या व्यवहारिक संदर्भों पर खरी उतरनी चाहिए। शोधकर्ता को एक विस्तृत क्षैत्र का चुनाव करना चाहिए उसके पश्चात उसके उपविषय से संबंधित किसी स्पष्ट शोध समस्या का चयन करना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरूआत में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. मीना बया ने अपने संबोधन में कहा कि शोध समस्या की पहचान एवं उसका निरूपण शोध प्रक्रिया का पहला चरण है। अनुसंधान समस्या का चयन शोध के विषय के संबंध में शोधकर्ता के ज्ञान, कौशल, रूचि, विशेषज्ञता, प्रेरण और रचनात्मकता जैसे कई कारको पर निर्भर करता है। समस्या विवरण तैयार करने के लिए, वर्तमान ज्ञान के अंतराल को निर्धारित करने के लिए संपूर्ण साहित्य की, समीक्षा उपरान्त ही चयन किया जाना चाहिए। सेमिनार में 135 संकाय सदस्यों एवं शोध छात्रो द्वारा पंजीकरण करवाया गया। महाविद्यालय की रिसर्च एण्ड डवलेपमेन्ट सैल की प्रभारी प्रो. कानन सक्सैना द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. जुल्फिया शेख द्वारा किया गया एवं धन्यवाद प्रो. सुनील दत्त शुक्ला द्वारा किया गया।

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